Taj Mahal History : मोहब्बत का अजीम शाहकार, ताज महल इतिहास की जुबानी

दुनिया में कम ही ऐसी इमारतें होंगी जो ताज महल (Taj Mahal History) की तरह मकबूल हैं। ताजमहल बेहतरीन वास्तुकला के लिए ही नहीं बल्कि अपने पीछे शहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। ताजमहल बेपनाह मोहब्बत का एक अजीम शाहकार है। ताजमहल (Taj Mahal) एक महान शासक का अपनी प्रिय रानी के प्रति प्रेम का अद्भुत तोहफा है।

ऐतिहासिक तौर पर यह मुगल शासन की सबसे प्रसिद्ध इमारत है। सफेद संगमरमर की यह विश्व विख्यात कृति पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। यूनेस्को की धरोहर सूची सूची में शामिल ताज महल को विश्व के सात आश्चर्यों में से एक होने का भी दर्जा हासिल है। ताजमहल (Taj Mahal) पूर्णिमा की रात को सबसे मनमोहक और सुंदर दिखाई देता है।

ताज महल- इतिहास की जुबानी – Taj Mahal History Hindi – Jane Tajmahal ka itihas

मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल को अपनी पत्नी अर्जुमंद बानो बेगम या मुमताज महल की याद में बनवाया था। ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज महल की कब्र के ऊपर बनवाया था। शाहजहां को भी वहीं दफनाया गया है। मुमताज महल के नाम पर ही इस मकबरे का नाम ताजमहल पड़ा। 1612 ई. में निकाह और 1631 में प्रसूति के दौरान बुरहानपुर में मृत्यु होने तक अर्जुमंद शाहजहां की अभिन्न संगिनी रहीं। मुमताज महल के रहने के लिए दिवंगत रानी के नाम पर मुमताज बाग बनाया गया जिसे अब ताज गंज कहते हैं।

कारीगरों के कटवाए थे हाथ

ताजमहल (Taj Mahal) का निर्माण 1632 मे शुरू होकर लगभग 1653 में पूरा हुआ। इसके निर्माण में 20 हजार से भी अधिक श्रमिक और कारीगर रोजाना निर्माण में जुटे रहे। ताजमहल के पास की दीवार और मुख्य द्वार 1649 में बने। वास्तुकारों ने ताज के निर्माण में 22 वर्ष लगने चार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया था। भारत के अलावा फारस और तुर्की के मजदूर भी थे। शाहजहां ने इसे बनाने वालों के हाथ कटवा दिए थे। इस स्मारक का नक्शा भारतीय वास्तुकार ने बनाया था।

ताजमहल की वास्तुकला

मकबरा सात मीटर ऊंचे संगमरमर के चबूतरे पर बना है। इसमें चार समान प्रवेशद्वार और एक विशाल मेहराब है। इसकी ऊंचाई प्रत्येक फलक पर 33 मीटर है। ऊंचे बेलनाकार आधार पर टिके लट्टूनुमा छोटे गुंबद संरचना को पूरा करते हैं। ताजमहल (Taj Mahal) के निर्माणकारों में केली ग्राफर अमानत खान शिराजी थे।

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मकबरे के पत्थर पर इबारतें कवि गयासुद्दीन जबकि ताजमहल के गुंबद का निर्माण इस्माइल खान अफरीदी ने टर्की से आकर किया। ताजमहल के मिस्त्रियों का अधीक्षक मोहम्मद हनीफ जबकि वास्तुकार उस्तारद अहमद लाहौरी था। ताजमहल की नींव के कोने से उठीं चार मीनारें मकबरे को बराबर संतुलन देती हैं। ये मीनारें 41.6 मीटर ऊंची हैं जिन्हें बाहर की ओर हल्का झुकाव दिया है। तर्क यह है कि भूकंप आने पर ये मकबरे पर न गिर कर बाहर की तरफ गिरें।

सामग्री (Taj Mahal History)

ताजमहल की सामग्री पूरे भारत और मध्य एशिया से लाई गई। 1000 हाथियों के बेड़े की सहायता सामग्री को निर्माण स्थल तक लाया गया। ताजमहल का लाल सैंड स्टोन फतेहपुर सीकरी, पंजाब के जसपेर, चीन से जेड और क्रिस्टल, तिब्बत से नीला पत्थर, श्रीलंका से लेपिस लजुली और सेफायर, अरब से कोयला और कोर्नेलियन तथा पन्ना से हीरे लाए गए। ताजमहल (Taj Mahal) में 28 तरह के दुर्लभ, कीमत और अर्ध मूल्यलवान पत्थर नकाशी में प्रयोग किए थे। सफेद संगमरमर राजस्थान के नागौर जिला के मकराना की खानों से लाया गया था।

ताज की आंतरिक सज्जा

ताजमहल के अंदर मध्य में एक विशाल कक्ष और नीचे एक तहखाना है। कक्ष के बीच में शाहजहां और मुमताज महल की कब्रें बनी हैं। शाहजहां की कब्र बाईं ओर मुमताज की कब्र से कुछ ऊंची है जो गुंबद के ठीक नीचे है।

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