Biography of Acharya Chanakya : चाणक्य- एक महान विद्वान एवं कूटनीतिज्ञ

चाणक्य- भारत के इतिहास में एक महान विद्वान और कुटिल राजनीतिज्ञ (Biography of Acharya Chanakya) के तौर पर जाने जाते हैं। चाणक्य (Chanakya) का जन्म एक बहुत गरीब परिवार में हुआ था। अपने उग्र स्वभाव के कारण उन्हें ‘कौटिल्य’ भी कहा जाता है।

उनका एक नाम ‘विष्णुगुप्त’ भी था। चाणक्य ने तक्षशिला में शिक्षा पाई थी। 14 वर्ष अध्ययन के बाद 26 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी समाजशास्त्र (Sociology), राजनीति (Politics) और अर्थशास्त्र (Economics) की शिक्षा पूर्ण कर नालंदा में शिक्षण कार्य भी किया। वे राजतंत्र के प्रबल समर्थक थे। उन्हें ‘भारत का मेकियावली के नाम से भी जाना जाता है। उनका एक कथन बहुत प्रसिद्ध है कि असंभव शब्द का प्रयोग केवल कायर करते हैं, बहादुर और समझदार व्यक्ति अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करते हैं।

एक घटना ने बदली जीवन दृष्टि

एक बार मगध के राजदरबार में उनका अपमान किए जाने उन्होंने नंद वंश के विनाश का बीड़ा उठाया था। उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य (Chandragupta Maurya) को राजगद्दी पर बैठा कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और नंद वंश को मिटाकर मौर्य वंश की स्थापना की। चाणक्य देश की अखंडता के अभिलाषी थे इसलिये उन्होंने चंद्रगुप्त के हाथों यूनानी आक्रमणकारियों को भारत से बाहर निकलवा कर और नंद वंश के अत्याचारों से पीडि़त प्रजा को मुक्ति दिलाई।

चाणक्य की जीवनी, जन्म एवं शिक्षा – Biography of Acharya Chanakya

विष्णुगुप्त (Vishnugupta) और कौटिल्य (Kautilya) के नाम से विख्यात आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान थे जिनकी नीतियों पर चल कर कई साम्राज्य स्थापित हुए। राजा और प्रजा के बीच पिता और पुत्र जैसा संबंध उन्होंने बताया। चाणक्य का जन्म बौद्ध धर्म के अनुसार लगभग 400 ई. पूर्व तक्षशिला के कुटिल नामक एक ब्राह्मण वंश में हुआ था।

कुटिल वंश में जन्म लेने के कारण वे कौटिल्य कहलाए लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार कौटिल्य का जन्म नेपाल के तराई में हुआ। जैन धर्म के अनुसार उनका जन्मस्थल मैसूर राज्य स्थित श्रवणबेलगोला को माना जाता है। जन्म स्थान को लेकर ‘मुद्रराक्षस’ के रचयिता के अनुसार उनके पिता को चमक कहा जाता था इसलिए पिता के नाम के आधार पर उन्हें चाणक्य कहा जाने लगा। कौटिल्य की शिक्षा दीक्षा प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय में हुई थी। शुरू से ही वह होनहार थे। अध्ययन समाप्ति के बाद नालंदा विश्वविद्यालय में ही पढ़ाने लगे थे।

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चाणक्य ने बताए राज्य के सात अंग

चाणक्य ने राज्य कल्पना को प्रतिपादित करते हुए राज्य को सात अंगों में विभक्त किया:

राजा : राजा के चारों ओर शक्तियां घूमती हैं। कौटिल्य के अनुसार अमात्य का अर्थ मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी दोनों से है।

अमात्य : अमात्य राजा का दूसरा महत्वपूर्ण अंग है। कौटिल्य कहते हैं कि एक पहिए की गाड़ी की भांति राजकाज भी बिना सहायता से नहीं चलाया जा सकता। इसलिए राज्य के हित में सुयोग्य अमात्यों की नियुक्ति कर उनके परामर्श का पालन होना चाहिए।

जनपद : कौटिल्य ने तीसरे अंग के रुप में जनपद को स्वीकारा है। जनपद कार्यालय का अर्थ है जनयुक्त भूमि। जनपद की व्याख्या करते हुए कौटिल्य कहते हैं कि जनपद की स्थापना ऐसी होनी चाहिए जहां यथेष्ठ अन्न की पैदावार हो। किसान मेहनती और लोग शुद्ध स्वभाव वाले हों। नदियां और खेत खुशहाली का वातावरण पैदा करते हों।

दुर्ग : कौटिल्य ने कहा है कि दुर्ग राज्य के प्रति रक्षात्मक शक्ति और आक्रमण शक्ति के प्रतीक हैं। उन्होंने औदिक दुर्ग जिके चारों ओर पानी भरा होता है, पार्वत दुर्ग जिसके चारों ओर पर्वत या चट्टानें हों, धान्वन दुर्ग जिसके चारों ओर ऊसर भूमि होती हैं जहां न जल न घास होती है और वन दुर्ग जिनके चारों ओर वन एवं दलदल पाए जाते हैं, बताएं हैं।

कोष : राज्य के संचालन में और दूसरे देश से युद्ध तथा प्राकृतिक आपदाओं से बाहर निकलने के लिए कोष जरूरी है।

धर्म : अर्थ और काम इन तीनों में से अर्थ सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है या यूं कहा जाए कि अर्थ दोनों का आधार स्तंभ है।

दंड : कौटिल्य के अनुसार, दंड का आशय सेना से है। सेना राज्य की सुरक्षा की प्रतीक है।

मित्र : कौटिल्य के अनुसार राज्य की प्रगति मित्र आवश्यक हैं। कौटिल्य कहते हैं कि मित्र ऐसा होना चाहिए जो वंश परंपरागत हो, उत्साह आदि शक्तियों से युक्त और जो समय पर सहायता कर सके।

मृत्यु के बारे में कई विरोधाभासी बातें – Death of Chanakya in Hindi

चाणक्य की मृत्यु के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। इस कारण इतिहासकार इसे लेकर एक मत नहीं हैं। उनकी मृत्यु 300 ई.पू के आसपास हुई थी। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने अन्न-जल त्याग कर देह त्याग दिया था तो कुछ लोग किसी षड्यंत्र से उनकी हत्या की बात करते हैं।

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